RBI Action On Banks :प्राइवेट बैंकों में लगातार नौकरी छोड़ रहे कर्मचारी, एक्शन मोड में RBI

RBI Action On Banks :

आपको बता दे की बहुत दिनों से आरबीआई कुछ निजी बैंकों में उच्च नौकरी छोड़ने पर करीब से नजर रख रही है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया है कि प्राइवेट सेक्टर के कुछ बैंकों में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की संख्या काफी ज्यादा है और देश के केंद्रीय बैंकों पर पहले से ही करीबी नजर रखते आ रही है। जिस में शक्तिकांत दास ने बिजनेस स्टैंडर्ड के एक कार्यक्रम में यह बात कही थी।

क्या कहा आरबीआई गवर्नर ने

कहि प्रमुख बैंकों ने जाकानरी दी है कि उनके यहां नौकरी छोड़ने की दर 30 साल से ज्यादा हो गई है। इस आंकड़े पर बात करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हर एक बैंक को ऐसे मुद्दों से छुटकारा पाने के लिए एक प्रमुख दल का गठन बैठालला होगा।

उन्होंने यह भी बताया है कि नौकरी बदलने के संबंध में युवाओं का नजरिया दिनों दिन बदलते जा रहा है और युवा अब इस बात पर अलग तरह से सोच रहा हैं।

RBI In Action Mode

गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी बताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि की गति मजबूत अभी तक बनी हुई है और दूसरी तिमाही के GDP के आंकड़े सभी को चौंका देने वाले है।

शक्तिकांत दास ने यह कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता वैश्विक वृद्धि के लिए सबसे बड़ा जोखिम माना जाएंगा। बल्कि भारत संभावित जोखिमों से छुटकारा पाने के लिए भारत बेहतर स्थिति में है।

Cryptocurrency पर क्या बोले

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि क्रिप्टो (Crypto) वित्तीय स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है, खासकर उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए नई तरह की चुनौती साबीत होंगी।

इस जोखिम को बहुत ही गंभीरता से देखना और प्रबंधित करना होगा। जिसमे शक्तिकांत दास ने आगे बताया है, हम इस इनोवेशन (Innovation) को दबाने की कोशिश नहीं कर पा रहे हैं, सार्वजनिक हित में होने वाले सभी इनोवेशन (Innovation) का समर्थन होना चाहिए।

डॉलर बनाम रुपये की बहस

शक्तिकांत दास ने बताया कि रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण (Internationalization) कोई लक्ष्य नहीं बल्कि एक प्रक्रिया मानी जा रही है और हम इस पर भी विचार कर रहे हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए एक मुद्रा पर निर्भरता के उनके अपने जोखिम बताये जा रहे है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी बताया है की, यह डॉलर बनाम रुपये की बहस नहीं है, लेकिन हम आपको अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये की स्वीकार्यता को बढ़ाने पर हमारा विचार कल रहा हैं, खासकर उन देशों के साथ जहां इनका ज्यादा व्यापार किया जाता है।

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