सरकार ने कुछ नए नियम बनाये है, जिसके आधार पर अब बीज ,खाद और कीटनाशक बनानेवाली कंपनिया देगी किसानो को मुआवजा। जिसे सुन किसानो को बड़ी राहत मिली है ,आप तो जानते हो दोस्तों, भारत में किसानो की क्या अहमियत है,इसलिए तो किसान को धरती पुत्र भी कहा जाता है |
किसान दीन रात गर्मी ,बारिश ,ठण्ड की परवाह किये बिना अपने खेतो में अपने श्रम से अनाज उगाता है और वही अनाज पुरे देश के लोगो की भूख मिटाता है। चाहे आमिर हो या गरीब राजा हो या उद्योगपति सभी का जीवन किसान की मेहनत पर आधारित है। अगर ऐसे में फसल से होनेवाले नुकसान को लेकर किसान दुखी है तो इसका सीधा असर हमारे जीवन पर भी पड़ेगा ,तो आईये जानते है सरकार के क्या नियम है और वो कैसे किसानो की मदत करना चाहेगी जिससे किसानो को राहत मिलेगी तो जानकारी जानने के लिए जुड़े रहे इस पोस्ट से।
किसानो की खेती को बेहतर बंनाने के लिये सरकार निरंतर प्रयास करती रहती है। बीज, खाद व कीटनाशक बनाने वाली कंपनियां और इन्हें बेचने वाले डीलर एवं दुकानदार बिना मिलावट के प्रोडेक्ट किसानों को बेचे, इसके लिए सरकारें अपने स्तर पर नए विधेयक भी लागू करती हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भी किसान अमानक या मिलावटी नकली बीज, खाद एवं कीटनाशकों से परेशान है,जिसका सीधा असा फसलों पर देखा गया है।
अक्सर देखा गया है कि इस तरह के मिलावट वाले खाद और बीजो से किसानों को खेती में बड़ी हानि होती है। ऐसे में महाराष्ट्र राज्य सरकार ने एक ऐसा कानून बनाया है, जिसके तहत ऐसा करने वाले डीलरों, दुकानदारों एवं खाद, बीज और कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं अगर खराब बीज, उर्वरक और कीटनाशकों से किसानों को खेती में नुकसान होता है, तो इसके एवज में कंपनियों द्वारा उन्हें मुआवजा भी दिलाया जाएगा।
सरकार के इस विधेयक से जहां किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। वही, बीज, खाद एवं कीटनाशक बनाने वाली कंपनियां और इन्हें बेचने वाले दुकानदारों एवं डीलरों के होश उड़े हुए हैं।क्युकी सरकार किसानो के हित में फैसला लेनेवाली है जिसे सुन कंपनी ,डीलर और दुकानदारों में हड़कंप मचा है।
सरकार कैसे करेगी किसानों की मदद?
खराब, मिलावटी और लौ क्वालिटी खाद और कीटनाशकों से फसलों को बड़ा नुकसान हो रहा है जिसका सीधा असर अनाज पर पढ़ रहा है जिससे उत्पादन कम हो रहा है और किसानो को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड रहा है| इसलिए सरकार इस विधेयक के तहत किसानों की मदद करना चाहती है। राज्य सरकार इस तरह के गैर कानूनी काम करने वाले निर्माता, वितरक या विक्रेताओं को इस विधेयक के तहत दोषी ठहराकर किसानों को होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा दिलाना चाहती है।इसलिए सरकार ने कुछ नियम लागु किये है जो इस तरह है |
भारत सरकार के नए नियम और शर्ते :
इस विधेयक में शिकायत करने को लेकर कृषकों के लिए कुछ नियम व शर्तें भी निर्धारित किए गए हैं। खासतौर पर कृषि इनपुट खरीदने की रसीद बहुत जरूरी है। अगर कृषि इनपुट बनाने वाली निर्माता कंपनी, वितरक या विक्रेता दुकनदार जिला प्राधिकरण के फैसले की प्राप्ति होने की तारीख से 30 दिनों के अंदर मुआवजे का भुगतान नहीं करता है, तो इसे भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूला जाएगा। हालांकि, इस अधिनियम के अंतर्गत उन शिकायतों पर विचार नहीं किया जाएगा, जिसे शिकायतकर्ता किसान ने किसी अन्य विधेयक के तहत किसी अन्य प्राधिकारी या कोर्ट के समक्ष उसी कारण से मुआवजे के लिए कोई शिकायत याचिका दायर की है।
सरकार द्वारा किये जानेवाले काम:
सरकार के नए नियमो के अनुसार , शिकायत प्राप्त होने के बाद, तालुका कृषि अधिकारी मामले की जांच के लिए तत्काल जांच समिति को भेजेगा। फसल नुकसान के आकलन और मूल्यांकन के लिए जांच समिति प्रशासन गठित करेगा। इसमें कृषि विभाग के अधिकारी, संबंधित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक या कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और बीज, खाद या कीटनाशक जो भी प्रासंगिक अधिनियम होगा। उसके निरीक्षक शामिल होंगे।
शिकायत प्राप्त होने के तुरंत बाद ही जांच एजेंसी विस्तृत जांच के लिए शिकायतकर्ता के संबंधित क्षेत्र का दौरा करेगी। जांच समिति उत्पादक और शिकायतकर्ता के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में निरीक्षण करेगी। जांच समिति अपने निरीक्षण निष्कर्षों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। वहीं, संबंधित कृषि अधिकारी द्वारा शिकायत प्राप्त होने के 10 दिनों के अंदर विचार के लिए जिला प्राधिकरण को भेज देगी।
जिला प्राधिकरण, जांच समिति की रिपोर्टों एवं उसके समक्ष प्रस्तुत अन्य कागजों पर विचार करने के बाद तथा शिकायतकर्ता के साथ-साथ निर्माता, वितरक या विक्रेता को सुनवाई का अवसर देने के बाद, शिकायतकर्ता को सही मुआवजा देने का आदेश दे सकती है। इसके अलावा, निर्माता, वितरक या विक्रेता द्वारा लिखित में वाद दायर करने के बाद इसे निरस्त किया जा सकता है। वहीं, जिला प्राधिकरण, जांच समिति की रिपोर्ट मिलने के तीस दिनों की समय अवधि भीतर या तो मुआवजे की रकम पारित करेगा या शिकायत को अस्वीकार कर देगा।जिससे किसानो को मदत मिलने में बड़े सहायता होगी।
कंपनी द्वारा किसानों को दिया जानेवाला मुआवजा:
कंपनी को सरकार द्वारा लिए गए नियमो का पालन करना ही होगा अन्यथा उनहे भारी जोखिम उठाना पड सकता है। महाराष्ट्र में मिलावटी, अमानक या डुप्लीकेट ब्रांड वाले बीज, खाद और कीटनाशक किसानों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बना हुआ है। इनके इस्तेमाल से किसानों को खेती में बहुत नुकसान हो रहा है। जिसकी दिन प्रतिदिन शिकायत बढ़ती जा रही है। जिस पर ध्यान देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐसा नया विधेयक तैयार किया है। जिसमें इस तरह के प्रोडेक्ट बनाने वाली कंपनियों और इन्हें बेचने वाले डीलरों और दुकानदारों पर कठोर एक्शन लिया जाएगा।
साथ ही खराब खाद, बीज और कीटनाशकों के प्रयोग से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एग्री इनपुट बेचने वाले डीलरों, दुकानदारों और इन्हें बनाने वाली कंपनियों द्वारा मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा, यदि इससे संबंधित कंपनियां निर्णय होने के 30 दिन में मुआवजे राशि का भुगतान नहीं करती है, तो फिर उसे 12 प्रतिशत ब्याज का भी भुगतान किसान को करना होगा। जो किसी भी हालत में कंपनियों को गवारा नहीं होगा इसलिए उन्हें सरकार द्वारा नए नियमो का पालन करना ही होगा।