BUNDELKHAND Solar Power Express Way :
उत्तरप्रदेश की योगी सरकार Bundelkhand Expressway को राज्य के पहले सौर एक्सप्रेसवे में बदलने की योजना बना रही है। सरकार का इरादा PPP मॉडल के तहत Bundelkhand Expressway के किनारे सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का है, जिसका लक्ष्य 550 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का है।
इस पहल के लिए सरकार ने Bundelkhand Expressway पर 1700 हेक्टेयर जमीन की पहचान की है। कई प्रमुख कंपनियों ने इस परियोजना में भाग लेने में रुचि दिखाई है।उत्तर प्रदेश में Bundelkhand Expressway पूरी तरह से सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) पर निर्भर होने वाला पहला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनने के लिए तैयार है।
Bundelkhand Solar Power Express Way पूरी जानकारी
प्रदेश में सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार Bundelkhand Expressway को Solar Expressway के रूप में विकसित कर रही है। उप्र एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा इस परियोजना पर काम किया जा रहा है।
PPP (सार्वजनिक निजी भागीदारी) माडल के तहत सोलर प्लांट्स लगाए जाएंगे। इसके लिए Bundelkhand Expressway पर 1700 हेक्टेयर भूमि भी चिह्नित की है। 296 किमी लंबे चार-लेन एक्सप्रेसवे का निर्माण लगभग 14,850 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
Expressway Bundelkhand क्षेत्र को इटावा के पास आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जोड़ता है। यह चित्रकूट जिले के भरतकूप के पास गोंडा गांव में NH-35 से लेकर इटावा जिले के कुदरैल गांव के पास तक फैला हुआ है, जहां यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे में मिल जाता है। यह सात जिलों से होकर गुजरती है, जिनमें चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा शामिल हैं।
एक्सप्रेसवे पर मुख्य मार्ग और सर्विस लेन के बीच में 15 से 20 मीटर चौड़ी पट्टी वाला क्षेत्र पूरे एक्सप्रेस-वे में खाली है, इसी पर सोलर पैनल लगाने की तैयारी की जा रही है।
Solar Power Express Way बनाने का उद्देश्य
- प्रदेश में सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित कर रही है। उप्र एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा इस परियोजना पर काम किया जा रहा है। पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) माडल के तहत सोलर प्लांट्स लगाए जाएंगे।
- बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे में पूरे राजमार्ग पर सौर पैनल लगाए जाएंगे
- जो न सिर्फ यात्रियों के लिए सड़क को रोशन करने में मदद करेगा।
- बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ हाईवे के किनारे के घरों के लिए ऊर्जा समाधान भी प्रदान करेगा।
- राज्य सरकार की योजना पीपीपी मॉडल के तहत बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सोलर-पावर्ड एक्सप्रेसवे के रूप में बदलने की है।
- इससे 550 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा होने की उम्मीद है।
Bundelkhand को ही क्यों चुना गया सोलर पावर एक्सप्रेस वे के लिए
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे सौर ऊर्जा संयंत्रों के विकास के लिए एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। इसका प्रमुख कारण इस क्षेत्र में भूमि की आसान उपलब्धता है।
इसके अतिरिक्त, यह एक शुष्क क्षेत्र (शुष्क क्षेत्र) है, और साफ मौसम के साथ-साथ यहां औसतन लगभग 800-900 मिमी वार्षिक वर्षा होती है। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे भी आधुनिक एवं सर्वसुविधायुक्त एक्सप्रेसवे में गिना जाता है।
Solar Power Express वे से मिलनेवाले लाभ
- एक बार चालू होने के बाद, सौर ऊर्जा से संचालित बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे यूपीईआईडीए के लिए लीज रेंट के जरिए 4 करोड़ रुपये तक जेनरेट कर सकता है। एक्सप्रेसवे द्वारा पैदा हुए पावर की लागत से 50 करोड़ रुपये का वार्षिक लाभ हो सकता है।
- क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार के साथ-साथ, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों के लिए हजारों नौकरियां पैदा होंगी।
- एक बार पूरा होने पर, परियोजना में हर दिन एक्सप्रेसवे से जुड़े एक लाख घरों को रोशन करने की क्षमता है। इस परियोजना का अपेक्षित जीवनकाल 25 वर्ष है, जिसमें भुगतान अवधि 10 से 12 वर्ष निर्धारित है।
- यह परियोजना महत्वपूर्ण मात्रा में हरित ऊर्जा उत्पन्न करेगी, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगी और जलवायु परिवर्तन की दर में कमी लाने में योगदान देगी।
- ऊर्जा स्रोतों में वृद्धि होगी, जिससे खुली ग्रिड पहुंच में वृद्धि के संदर्भ में आर्थिक विकास होगा। इस पहल से स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इसके अलावा, उत्पन्न बिजली का उपयोग आस-पास के समुदायों द्वारा किया जा सकता है। साथ ही एक्सप्रेस-वे पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग और अन्य ऊर्जा जरूरतें भी पूरी हो सकेंगी।
- एक्सप्रेसवे पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग की भी सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
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