poultry farm :
poultry farm – जैसे की पर्यावरण संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार हमेशा एक्टिव दिखाई दे रही है बता दे की अलग-अलग नियम और अधिनियमों को लागू करके इस पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार बहुत समय से कोशिश करती आ रही है। बताया जा रहा है की दिल्ली NCR सहित देश भर में कई पोल्ट्री फार्म भी कार्रवाई के दायरे में आ चुके हैं।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको poultry farm के बारे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से देने वाले है, अगर आप भी poultry farm चलाते है तो आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए। जानकरी के लिए बता दे की मुर्गा पालन करने वालों के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने नई गाइडलाइनें जारी की गई है।
नई गाइडलाइनें जारी के अनुसार
इस नई गाइडलाइनें जारी के अनुसार, बताया गया है 125 मीटर की परिधि में किसी भी आबादी नहीं होनी चाहिए और प्रदूषण प्रमाणपत्र की आवश्यकता पड़ेंगी। निचे दिये गये कुछ मुख्य लाइन में बताया गया है। आइये जानते है, इस नई गाइडलाइन के बारे में पूरी जानकरी।
इस नई गाइडलाइन में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है, पॉल्ट्री फार्म खोलने वाले व्यक्ति को इस बात पर बहुत ध्यान देना चाहिए। अगर इस गाइडलाइन पर ध्यान न देते हुए पॉल्ट्री फार्म चलाते है तो आपको जुरमाना भी भरना पड सकता है और जेल भी हो सकती है। जाने आगे।
नई गाइडलाइन के बारे कुछ मुख्य लाइन
- स्थान निर्धारण : जानकारी के लिए बताना चाऊंगा की नई गाइडलाइन के अनुसार, कोई भी poultry farm आवासीय क्षेत्र से कम से कम 500 मीटर की दूरी पर नहीं बनाना चाइये।
- प्रदूषण प्रमाणपत्र : यह बात का धन दे की आपके पास पांच हजार या इससे अधिक के मुर्गे पालन के लिए आपको प्रदूषण प्रमाणपत्र आवश्यक पड़ती है।
- आवाबीन्दगी (traffic jam) की दूरी : बता दे की प्रदूषण प्रमाणपत्र के लिए, फार्म को वृहद जलस्त्रोत से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर रखना चाइये। NH से 100, SH से 50, और सड़क से कम से कम 10 मीटर की दूरी रखना अनिवार्य होता है।
- शेड से दूरी : पॉल्ट्री फार्म के शेड बनाते समय ध्यान दे की उसकी चारदीवारी की दूरी कम से कम 10 मीटर होनी चाहिए।
मिडिया के तहत बताया जा रहा है कि केंद्र के पशु पालन विभाग द्वारा 2020 में किए गए लाइवस्टाक सेंसेस से देशभर में पॉल्ट्री (पक्षियों) की संख्या 851.809 मिलियन दर्ज की जा चुकी है।
अगर आप इस नई गाइडलाइन के नियमों का पालन करते है तो, प्रदूषण को बढ़े आसानीसे रोखाजा सकता है और कम करने के साथ-साथ पॉल्ट्री फार्मिंग को स्थानीय वातावरण के साथ अनुकूलित करने का प्रयास भी किया जा सकता है।
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