Yellowness In Wheat :
गेंहू की पहली, दूसरी सिंचाई के बाद पौधे में पीलापन दिखने को मिलता है। पीलेपन के वजह से गेंहू की बढ़ोतरी नही हो पाती और उसका असर कल्ले निकलने पर, साथ ही पौधे की ऊंचाई एवं गेंहू की बाली पर भारी असर पड़ता है। जिससे गेंहू की उपज पर असर देखने को मिलता है।
यदि आपकी फसल में पीलापन (Yellowness in wheat) देखने को मिलता है, तो इसका कारण क्या है? और इससे कैसे बचा जा सके इन सभी की जानकारी हम आपको इस आर्टिकल में देने वाले है।
सिंचाई के बाद गेंहू में पीलापन का मुख्य कारण
गेंहू ने पीलापन (Yellowness in wheat) होने का मुख्य कारण है फसल में बहुत ज्यादा सिंचाई होना। भारी/कठोर मिट्टी में पहली, दूसरी सिंचाई के दौरान ज्यादा पानी धीरे-धीरे नीचे जाता है। जब मिट्टी पानी सोखती है, तब पानी ज्यादा गहराई में नही जा पाता है। इस वजह से गेंहू में पीलापन आ जाता है।
सिंचाई के बाद गेंहू में पीलेपन के बचाव के उपाय
- गेंहू में पीलेपन (Yellowness in wheat) से बचने के लिए , गेंहू की बुवाई के पहले कठोर मिट्टी / भारी मिट्टी में जैविक पदार्थ का इस्तेमाल करना होगा।
- पौधे की आवश्यकता के अनुसार पहली, दूसरी सिंचाई के दौरान पानी कम लगाना चाहिए। चाहे हल्की मिट्टी हो या भारी, दोनों प्रकार की मिट्टियों में कम सिंचाई करनी चाहिए।
- गेंहू में यदि पीलापन (Yellowness in wheat) आ गया है तो, इसके लिए किसान भाई पानी के वाष्पित होने का इंतजार करें। ऐसे में किसान भाई 15 से 20 किलोग्राम प्रति एकड़ यूरिया का छिड़काव करना होगा।
कोहरे की वजह से भी आता है पीलापन
यह रोग ठंड व कोहरे के कारण होता है, जबकि गेहूं के पत्तों में हाथ लगाने से पीला पाउडर हाथ में लगना शुरू हो जाए, तो यह फसलों के लिए गंभीर हो सकता है। उन्होंने किसानों को फसलों में फसलों में यूरिया का छिड़काव करने की सलाह दी है।
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