Dhanteras :
हिंदू पंचाग के अनुसार, पांच दिनों तक चलने वाला दीवाली का पर्व Dhanteras के साथ आरंभ होता है, Dhanteras के दिन शाम को मां लक्ष्मी, कुबेर भगवान की पूजा करने के साथ यमराज की पूजा करने का विधान है क्या आप जानते हैं कि Dhanteras के दिन (Dhanteras 2023) Yam का Deepak जलाने का क्या महत्व है और Yam Deepak क्यों जलाया जाता है?
Dhanteras पर Yam Deepak जलाने का क्या महत्त्व है ये जानने के लिए आप भी उत्सुक होंगे? आखिर Yam Deepak क्या है? इसे जलाना क्यों जरुरी है, तो आईये जानते है इससे जुडी पूरी जानकारी।
घर की दक्षिण दिशा में एक चार मुख वाला Deeoak जलाया जाता है। इस चार मुख वाले Deepak को ही ‘यम का दीपक’ कहा जाता है। ज्योतिष के मुताबिक, घर की दक्षिण दिशा की स्वामी यमराज होते हैं। पौराणिक मान्यता है कि Dhanteras पर दक्षिण दिशा में यम का दीपक लगाने से यमराज प्रसन्न होते हैं।
Yam Deepak जहां आकाल मृत्यु के संकट को रोकता है, वहीं इसके पीछे ये भी मान्यता है कि यदि धनतेरस की शाम सूर्यास्त के बाद यम दीपक जलाया जाए तो उससे पितरों के मार्ग को प्रकाश मिलता है| वो अपने स्वर्ग लोक की यात्रा इसी प्रकाश के माध्यम से करते हैं।
Yam Deepak जलाने का महत्त्व
पर माता लक्ष्मी विष्णु और कुबेर के पूजन किया जाता है लेकिन धनतेरस की शाम को यमराज की पूजा करने का भी धार्मिक महत्व हैं| यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है, सागर के ज्योतिष आचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार इस दिन वैदिक देवता यमराज का पूजन किया जाता है|
इस दिन यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है| रात को औरतें दीपक में तेल डालकर चार बत्तियाँ जलाती हैं| जल, रोली, चावल, गुड़ तथा फूल आदि से नैवेद्य सहित दीपक जलाकर यम का पूजन करती हैं,इस दिन धन्वतरि के पूजन का भी विशेष महत्व है|
Yam का Drrpak जलाने की विधि
रात के समय इस दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलायी जाती हैं, इस दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है| दीपक जलाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ‘मृत्युनां दंडपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप किया जाता है|
Dhanteras के दिन शाम को चौखट पर दिया जलाने से क्या होता है?
शाम के समय दरवाजे के पास दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही इससे नकारात्मक ऊर्जा घर से दूर बनी रहती है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रवेश होता है। ऐसा माना जाता है कि शाम के समय मुख्य द्वार पर दीपक जलाना माता लक्ष्मी को आपके घर तक आने की राह दिखाता है।
Yam Deepak से जुडी पौराणिक कथा
एक बार यमराज ने अपने दूतों से प्रश्न किया—“क्या प्राणियों के प्राण हरते समय तुम्हें किसी पर दया भी आती है? यमदूत संकोच में पड़कर बोले, “नहीं महाराज! हम तो आपकी आज्ञा का पालन करते हैं, हमें दया भाव से क्या प्रयोजन?’ यमराज ने फिर प्रश्न दोहराया ‘संकोच मत करो| यदि कभी कहीं तुम्हारा मन पसीजा है तो निडर हो कर कह डालो ” तब यमदूतों ने कहा, “सचमुच एक घटना ऐसी घटी है, जब हमारा हृदय कांप गया, हंस नाम का राजा एक दिन शिकार के लिए गया वह जंगल में अपने साथियों से बिछुड़ कर भटक गया और दूसरे राजा की सीमा में चला गया।
वहाँ के शासक हेमा ने राजा हंस का बड़ा सत्कार किया, उसी दिन राजा हेमा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया| ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि यह बालक विवाह के चार दिन बाद मर जाएगा| राजा हंस के आदेश से उस बालक को यमुना के तट पर एक गुहा में ब्रह्मचारी के रूप में रखा गया, उस तक स्त्रियों की छाया भी न पहुँचने दी|
किन्तु विधि का विधान तो अडिग होता है, संयोगात् एक दिन राजा हंस की राजकुमारी यमुना के तट पर निकल गई और उसने उस ब्रह्मचारी बालक से गंधर्व विवाह कर लिया| चौथा दिन आया और राजकुंवर मृत्यु को प्राप्त हुआ, उस नव-परिणीता का करुण-विलाप सुन कर हमारा हृदय कांप गया ऐसी सुन्दर जोड़ी हमने कभी न ही देखी थी| वे कामदेव तथा रति से कम न थे, इस युवक को काल-ग्रस्त करते समय हमारे अश्रु भी थम न पाए थ।”
यमराज ने द्रवित होकर कहा,”क्या किया जाए? विधि के विधान की मर्यादा हेतु हमें ऐसा अप्रिय कार्य करना पड़ा। तब दूत के पूछने पर यमराज ने अकाल-मृत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा, “धनतेरस के पूजन एवं दीपदान को विधिपूर्वक पूर्ण करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है। जहां-जहां जिस-जिस घर में यह पूजन होता है वहां अकाल मृत्यु का भय पास नहीं भटकता, इसी घटना से धनतेरस के दिन धन्वतरि पूजन सहित दीपदान की प्रथा का प्रचलित हुयी।
अकाल मृत्यु का भय कम होता है
यह मान्यता है कि धनतेरस के दिन यमराज की पूजा की जाती है, इस दिन यम देवता की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। इस दिन यम देवता के लिए दीपदान करने का खास महत्व होता है। धनतेरस पर शुभता और सौभाग्य को पाने के लिए दीपदान करने की परंपरा कई सदियों से चली आ रही है| चौमुखी दीपक को दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए, इस दिशा के स्वामी यम हैं। दीपदान के बाद घर में सुख-शांति और आरोग्य का आशीर्वाद मांगना चाहिए।
पितरों से होता है यम दीपक का संबंध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लोग अपने पितरों को पूजा-पाठ और कर्मकांड के माध्यम से याद करते हैं। पितर पूजा-पाठ और कर्मकांड से प्रसन्न होकर परिवार को अपना आशीर्वाद भी देते हैं। Dhanteras के दिन Yam Deepak जलाने के पीछे का कारण है। मान्यता है कि Dhanteras की शाम यानी सूर्यास्त के बाद ही यम दीपक जलाया जाता है।
ऐसा करने से पितरों के मार्ग में प्रकाश मिलता है। साथ ही वे स्वर्ग लोग की यात्रा इसी Yam Deepak के प्रकाश के माध्यम से करते हैं। यम दीपक जलाने की दिशा दक्षिण दिशा मानी जाती है, क्योंकि दक्षिण दिशा में ही पितरों का निवास होता है।
तो अब आप जान गए होंगे याम दीपक क्यों जलाया जाता है, इसे जलाने का क्या महत्त्व है ,तो आप भी इस मान्यता को पूरा करके अकाल मृत्यु से मुक्ति पा सकते । Dhanteras पर इसे जलने का विशेष महत्त्व है
तो अब आप जान गए होंगे याम दीपक क्यों जलाया जाता है, इसे जलाने का क्या महत्त्व है ,तो आप भी इस मान्यता को पूरा करके अकाल मृत्यु से मुक्ति पा सकते है। Dhanteras पर इसे जलने का विशेष महत्त्व है।