Pm Kaushal Vikas Yojana 4.0 : pm नरेंद्र मोदी द्वारा PMKVY योजना की चौथे चरण की गाइड लाइन जारी!

Pm Kaushal Vikas Yojana 4.0 :

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के चौथे चरण के लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है।प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) को नि:शुल्क अल्पावधि कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने तथा कौशल प्रमाणन हेतु युवाओं को नकद पुरस्कार प्रदान करके इसे प्रोत्साहित करने के लिए देश में कौशल विकास को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के लिए 2015 में शुरू किया गया था।

पीएम मोदी का जोर कौशल विकास और उद्यमशीलता पर है इसलिए मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 2015 में शुरू की। इसके पहले चरण में 19.86 लाख दूसरे चरण में 1.10 लाख और तीसरे चरण में 7.37 लाख सहित कुल 1.37 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया।अब हर जिल्हे का स्किल डेवलपमेंट प्लान बननेवाला है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को अधिक रोजगारपरक बनाने के लिए महीनों से चल रहे प्रयासों को रूपरेखा में ढाल दिया गया है। पिछले तीन चरणों की चुनौतियों को देखते हुए चौथे चरण के लिए कई सुधारों के साथ कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी कर दी हैं।

pradhanmantri kaushal vikas yojana 2016-20 के उद्देश्य

  • बड़ी संख्या में युवाओं को उद्योग के अनुकूल गुणवत्ता कौशल प्रशिक्षण लेने के लिए सक्षम बनाना और जुटाना ताकि वे रोजगारपरक बनें और अपनी आजीविका कमा सकें।
  • मौजूदा कार्यबल की उत्पादकता में वृद्धि करना और देश की वास्तविक जरूरतों के साथ कौशल प्रशिक्षण को जोड़ना।
  • प्रमाणन प्रक्रिया के मानकीकरण को बढ़ावा देना और कौशल की रजिस्ट्री बनाने के लिए आधार रखना।
  • चार साल (2016- 2020) की अवधि में 10 मिलियन युवाओं को लाभ।

स्कीम के प्रमुख घटक

अल्पावधि प्रशिक्षण (एसटीटी) – पीएमकेवीवाई प्रशिक्षण केंद्रों (टीसीएस) में प्रदान किया जा रहा अल्पावधि प्रशिक्षण स्कूल/कॉलेज अधूरा छोड़ने वाले या बेरोजगार उम्मीदवारों पर केन्द्रित है। प्रशिक्षण की अवधि जॉब रोलों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है, किंतु, अधिकांश पाठ्यक्रम 200-600 घंटे (2-6 महीने) के बीच की अवधि के होते हैं।

पूर्व शिक्षण मान्यता (आरपीएल) – पूर्व शिक्षण अथवा कौशल वाले व्यक्तियों का पूर्व शिक्षण मान्यता (आरपीएल) स्कीम के अंतर्गत आकलन और प्रमाणन किया जाता है। आरपीएल का उद्देश्य देश के असंगठित कार्यबल की दक्षताओं को एनएसक्यूएफ के अनुरूप करना है। प्रशिक्षण/अभिमुखीकरण की अवधि 12-80 घंटे के बीच होती है।

विशेष परियोजनाएं – पीएमकेवीवाई के विशेष परियोजना घटक में सरकारी निकायों, निगमों/उद्योग निकायों तथा विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण को बढ़ावा देने की परिकल्पना की है और उपलब्ध अर्हता पैको (क्यूपी)/राष्ट्रीय व्यावसायिक मानकों (एनओएस) के अंतर्गत विशेष जॉब रोलों में प्रशिक्षण निर्धारित नहीं हैं। यह ऐसी परियोजनाएं हैं, जिनमें पीएमकेवीवाई के अंतर्गत अल्पावधि प्रशिक्षण के नियमों और शर्तों के अनुसार कुछ भिन्नता हो सकती है।

कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय

केंद्र की सत्ता में मोदी सरकार के आने पर 2014 में कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जोर कौशल विकास और उद्यमशीलता पर है, इसलिए मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 2015 में शुरू की। इसके पहले चरण में 19.86 लाख, दूसरे चरण में 1.10 लाख और तीसरे चरण में 7.37 लाख सहित कुल 1.37 करोड़ युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया गया।

योजना चलती रही, युवा प्रशिक्षण लेते रहे, लेकिन रोजगार या स्वरोजगार के रूप में वह परिणाम नहीं सामने आ सके, जिसकी सरकार को अपेक्षा थी। यही वजह है कि इस बार बजट में प्रधानमंत्री मोदी ने जल्द नए सुधारों और भविष्य की आवश्यकता के अनुरूप चौथा चरण लागू करने की घोषणा कर दी। तभी से मंत्रालय इसकी रूपरेखा बनाने में जुटा था।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के चौथे चरण की गाइडलाइन जारी

मंत्रालय ने महीनों की कसरत के बाद प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के चौथे चरण की गाइडलाइन जारी कर दी हैं। इसमें कई बदलाव किए गए हैं, जिसमें खास यह है कि जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिला कौशल विकास समितियां जिला कौशल विकास योजना (डिस्ट्रिक्ट स्किल डेवलपमेंट प्लान) बनाएंगी।

इसके लिए यह स्थानीय श्रम बाजार और स्किल गैप का आकलन कर स्किल मैपिंग करेंगी। यह देखेंगी कि जिले में किस क्षेत्र में कितने रोजगार सृजन की संभावना है। इन बिंदुओं के साथ एक्शन प्लान प्रस्तावित करेंगी।

एग्जीक्यूटिव एव स्टीयरिंग कमेटी बनाई जाएगी

सरकार ने चौथे चरण में प्रशिक्षण, निगरानी, रोजगार उपलब्ध कराने की ठोस व्यवस्था के लिए कई नए प्रयासों को शामिल किया है। निगरानी के लिए मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक स्टीयरिंग कमेटी योजना को लागू कराने के लिए मंत्रालय के अपर सचिव या संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एग्जीक्यूटिव कमेटी बनाई जाएगी। जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में डिस्टि्रक्ट स्किल कमेटी काम करेगी।

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